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सरकार हाई कोर्ट में नहीं बता सकी कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए उसके पास क्या योजना है

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इंदौर, सरकार हाई कोर्ट में नहीं बता सकी कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए उसके पास क्या योजना है। वह क्या कदम उठाने जा रही है ताकि मरीजों को राहत मिल सके। इस मुद्दे को लेकर चल रही जनहित याचिका में सोमवार को शासन को जवाब देना था, लेकिन सरकारी वकील ने इसके लिए समय मांग लिया। मामले में अब 18 दिसंबर को सुनवाई होगी।
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चल रही इस जनहित याचिका में निजी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने से मरीजों की मौत का मुद्दा उठाया गया है। जनहित याचिका अर्जुन असोलिया ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से दायर की है। कहा है कि शहर के निजी अस्पताल मरीजों को प्राथमिक उपचार तक नहीं दे रहे हैं। बगैर इलाज ही मरीजों को लौटाया जा रहा है। इलाज नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत हो चुकी है। सरकार के पास अस्पतालों की मनमानी से निबटने के लिए कोई रणनीति नहीं है। याचिका में गोकुलदास अस्पताल, अरबिंदो अस्पताल और मेदांता अस्पताल को भी पक्षकार बनाया है। आरोप है कि इन अस्पतालों ने 18 अगस्त 2020 को एक मरीज को प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं हुआ इसके चलते मरीज की मौत हो गई।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने मामले में शासन से जवाब मांगा था। एडवोकेट मनोरे ने बताया कि सोमवार को शासन ने जवाब के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। एक निजी अस्पताल की तरफ से जवाब आया है लेकिन वह रिकॉर्ड पर नहीं आ सका जबकि एक अन्य निजी अस्पताल ने इसके लिए समय ले लिया।
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